तीरंदाजी: खेल के संपूर्ण नियम और बुनियादी जानकारी
परिचय
तीरंदाजी एक प्राचीन खेल है इस खेल का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह खेल न केवल शारीरिक कौशल बल्कि मानसिक एकाग्रता और धैर्य की भी मांग करता है। तीरंदाजी आज ओलंपिक खेलों का हिस्सा है। यह खेल दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा देखा और खेला जाता है। यह कोई टीम खेल नहीं होता है इसमें एकल खिलाड़ी अपने धनुष के द्वारा तीर को टारगेट पर मारते हैं। जिस खिलाड़ी द्वारा जितना समीपतम तीर मारा जाता है उसे खिलाड़ी को उसने अधिक अंक प्राप्त होते हैं।
खेल का उद्देश्य
तीरंदाजी खेल के विभिन्न प्रकार के रूप हैं लेकिन सभी का उद्देश्य एक समान ही है सभी तीरंदाजी खेलों का मुख्य उद्देश्य सटीक निशाना लगाना है। लक्ष्य पर विभिन्न रंगों के रिंग होते हैं, जिनमें सबसे अंदरूनी रिंग को हिट करने पर सबसे अधिक अंक मिलते हैं। विभिन्न प्रकार के टूर्नामेंट में लक्ष्य की दूरी अलग-अलग होती है। ओलंपिक खेलों में प्रतियोगी 70 मीटर की दूरी से लक्ष्य पर निशाना साधते हैं। जिस खिलाड़ी द्वारा अधिकतम राउंड जीत लिए जाते हैं वह खेल को जीत जाता है।
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खिलाड़ी और टीमें
तीरंदाजी में कोई आयु या लिंग प्रतिबंध नहीं है। इस खेल को बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, महिला और पुरुष दोनों ही इस खेल का आनंद ले सकता है। तीरंदाजी में खिलाड़ी एकल या टीम प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हैं। तीरंदाजी के लिए खिलाड़ी को उच्च स्तर की एकाग्रता, स्थिरता और सटीकता की आवश्यकता होती है। तीरंदाजों को विभिन्न प्रकार के धनुष और तीर का उपयोग करना होता है। ओलंपिक खेल में तीरंदाज से 70 मीटर की दूरी पर लक्ष्य होता है। लक्ष्य का व्यास 122 सेंटीमीटर होता है। जिसमें विभिन्न रंगों की लाइन होती हैं।
अंक प्रणाली
तीरंदाजी खेल में अंग प्राप्त करना बहुत सरल है एक तीरंदाज को बस अपने धनुष से निशाना लगाकर लक्ष्य पर तीर को मारना होता है। लक्ष्य पर विभिन्न रंगों की पट्टियां और रिंग बने होते हैं। पीले रंग की पट्टी पर तीर मारने पर सबसे अधिकतम अंक मिलते हैं जबकि सफेद रंग की पट्टी पर तीर मारने पर सबसे न्यूनतम अंक दिए जाते हैं और यदि किसी खिलाड़ी का तीर लक्ष्य से चूक जाता है तो उसे कोई अंक नहीं मिलता है। लक्ष्य के बिल्कुल बीच काले बिंदु पर तीर मारने वाले खिलाड़ी को 10 अंक दिए जाते हैं।
तीरंदाजी के नियम
- तीरंदाजी में खिलाड़ी विभिन्न प्रकार के धनुष और तीर का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन सभी को नियमों के अनुसार होना चाहिए।
- तीरंदाजी में तीन प्रकार के धनुष होते हैं। रिकर्व, कंपाउंड और बेयरबो। प्रत्येक धनुष के लिए अलग-अलग नियम होते हैं।
- लक्ष्य एक गोलाकार तख्ता होता है जिसे 10 क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है। केंद्र का क्षेत्र सबसे उच्चतम स्कोर वाला होता है।
- लक्ष्य पर पांच रंग होते हैं। सुनहरा, लाल, नीला, काला और सफेद। सुनहरे रंग के बीच में बिंदु पर निशाना लगाने पर 10 अंक मिलते हैं। जबकि सफेद रंग पर निशाना लगाने पर 1 अंक मिलता है।
- तीरंदाजी में विभिन्न दूरियों से निशाना लगाया जाता है। यह दूरी अलग-अलग टूर्नामेंट के आधार पर होती है ओलंपिक में यह दूरी 70 मीटर है।
- तीरंदाजी में खिलाड़ियों को प्रत्येक तीर लक्ष्य के जिस क्षेत्र में लगता है। उसके अनुसार अंक दिए जाते हैं।
- जिस खिलाड़ी का तीर लक्ष्य से चूक जाता है और नीचे गिर जाता है तो उसे कोई अंक नहीं दिया जाता है।
- यह खेल विभिन्न राउंड में खेला जाता है जो खिलाड़ी है टीम अधिकतम राउंड जीत जाता है वह खेल पर विजय प्राप्त कर लेता है।
- खेल के अंत में उच्चतम कुल स्कोर वाला खिलाड़ी या टीम खेल को जीत जाता है।
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निष्कर्ष
तीरंदाजी एक शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण खेल है। यह एकाग्रता, धैर्य और सटीकता बढ़ाने में मदद करता है। इस खेल में आयु और लिंग का प्रबंध नहीं है। आजकल तो तीरंदाजी आनन्द के लिए विभिन्न प्रकार से की जाती है जैसे की मेलों में गुब्बरों पर तीरंदाजी करते हैं। तीरंदाजी को ओलंपिक खेलों में भी शामिल किया गया है। यह खेल विश्व तीरंदाजी फेडरेशन द्वारा निरंतर किया जाता है।
FAQ
तीरंदाजी के लिए मुझे किस उपकरण की आवश्यकता होगी?
आपको एक धनुष, तीर और एक तीरदान की आवश्यकता होगी।
तीरंदाजी में कितने प्रकार के धनुष होते हैं?
तीरंदाजी में तीन प्रकार के धनुष होते हैं, रिकर्व, कंपाउंड और बेयरबो। इन तीनों प्रकार के धनुषों के लिए अलग-अलग नियम लागू होते हैं।
लक्ष्य पर कितने रंग होते हैं और उनके अंक क्या होते हैं?
लक्ष्य पर पांच रंग होते हैं। सुनहरा (9-10 अंक), लाल (8-7 अंक), नीला (6-5 अंक), काला (4-3 अंक) और सफेद (2-1 अंक)।